नैमिषारण्य के पवित्र् तीर्थस्थल
नैमीषारण्य में प्रवाहित होने वाली गोमती नदी का नाम ऋग्वेद एवं ब्राम्हण- ग्रन्थों में मिलता है। महाभारत ग्रंथ में गोमती को सबसे पवित्र् नदी बताया गया हैा स्कन्द पुराण के ब्रम्हाखण्डार्न्तगत धर्मारण्य महात्म के प्रंसग में गंगा आदि नदियों के साथ गोमती को पावन माना गया हैा सभी पुराणों में गोमती की महिमा का बखान है, यह वैदिक कालीन नदियों में हैा नैमि षारण्य गोमती के पावन तट पर विद्वमान इआ कस्यपी गंगा ''साभ्रमती''प्रथम बार भागीरथ गंगा को प़थ्वी पर लाये थेा दूसरी बार कस्यप ऋषि नैमषि के ऋषियों के निवेदन पर शिव आराधना कर भगवान से गंगा लेकर नैमि ष आये नैमि ष में उसे कस्यपी गंगा कहा गया कस्यपी गंगा को ही साभ्रमती कहा गयाा उक्त कथा पदम पुराण में वर्णित हैा पदम पुराण में वर्णित हैा काचंनाक्षी गंगा स्कन्द पुराण के त़तीय खण्ड के अनुसार मार्कण्डेय ऋषि नैमि षारण्य में आकाश से सरस्वती व गंगा का अवतरण किया था पद्रम पुराण में भी नैमि ष में '' गंगोदभे' का वर्णन हैा वामन पुराण के अनुसार नैमि ष में '' कांचनाक्षी '' सरस्वती का वर्णन मिलता हैा
चक्रतीर्थ
नैमि षारण्य का पवित्र्ाम तीर्थ नैमि षारण्य माना जाता है यहां भगवान प्रजापति के चक्र की नेमि से निर्मित र्तीथ हैा महाभारत के अनुसार पूर्वकाल में यहां पर धर्म चक्र प्रवर्तित हुआ था जिस कारण उसका नाम नैमि षारण्य पदाया
हनुमान गढी
हनुमान गढी का माहात्म्य इस प्रकार है नीमसार की हनुमान गढी का पौराणिक महत्व हैा कहा जाता है कि जब अहिरावण भगवान राम और लक्ष्मण को चुरा कर पाताल ले गया तो हनुमान जी ने उन्हें वहां से अपने कंधो पर बैठाकर इसी हनुमानगढी से धरती पर प्रकट हुये थेा यहां पर हनुमान जी की मनोहर प्रतिमा हैा कहते है कि इस प्रतिमा में हनुमान जी दक्षि ण दि शा की ओर रूख किए हैा साथ्ा ही उनके कधों पर भगवान राम और लक्ष्मण भी हैा
भौगोलिक स्थिति
भारतवर्ष के उत्तर प्रदेश में लखनउ मण्डल के अर्न्तगत सीतापुर जिले के दक्षि ण भाग में गोमती नदी के पवित्र् टत पर सीतापुर जिले से 32 कि0मी0 एवं जनपद हरदोई से 40 कि0मी0 दूर पूर्व दि शा में समुद्र तल से 115 फिट की उचाई एवं 27-21 अक्षांस, 80-29 अशं देशान्तर पर स्थित हैा
लो· सेवा आयोग (पीसीएस) परीक्षा में सीतापुर जिले ·ी तीन-तीन प्रतिभाओं ·ा सलेक्ट होना, निश्चित रूप से समूचे जिले ·े लिए गर्व और गौरव ·ा विषय है। हालां·ि यह ·ोई पहला मौ·ा नहीं है, जब पीसीएस जैसी उच्च परीक्षा में सीतापुर ·ी प्रतिभाओं ने अपनी चम· बिखेरी है। इससे पूर्व भी इस जिले ·े लोग उच्च परीक्षाओं में अपनी ·ाबिलियत ·ा झंडा बुलंद ·रते रहे हैं। ले·िन ए· साथ तीन-तीन लोगों ·ा पीसीएस जैसी परीक्षा में सफलता हासिल ·रना निश्चित रूप से बेहद सुखद अनुभव है। इस परीक्षा परिणाम ने साबित ·र दिया है ·ि प्रतिभाएं सिर्फ महानगरों में ही नहीं बल्·ि सीतापुर जैसे छोटे शहरों में भी पनपती है, साथ ही साथ यह भी साबित हो गया है ·ि प्रतिभाएं संसाधनों ·ी मोहताज नहीं होती है। निश्चित रूप से इन तीनों प्रतिभाओं ·े लिए यह दिन खुशियों भरे हैं। आईए हम सब भी इन·ी खुशियों में शामिल हो·र इस शानदार सफलता पर इन्हें हृदय से बधाई दें।
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