Monday, June 17, 2013

घाघ की कहावत को साकार किया जिले के किसानों ने
हुनर से लिख रहे तरक्की की इबारत

सीतापुर। ‘उत्तम खेती मध्यम बान। निषद चाकरी भीख निदान।।’ घाघ की यह प्रसिद्ध कहावत सीतापुर जिले में एकदम सटीक बैठ रही है। जिले के एक-दो नहीं बल्कि 24 गन्ना किसानों ने खेती की आधुनिक और वैज्ञानिक तकनीक अपना कर वो कारनामा कर दिखाया है, जिसकी ख्याति प्रदेश के दूसरे जनपदों में भी पहुंच गई है। इन किसानों ने औसत उपज का पांच गुना गन्ना उगाकार लोगों को चकित कर दिया है। प्रदेश के विभिन्न जनपदों के गन्ना किसान और चीनी मिलों के प्रबंधकों के अलावा कई कृषि वैज्ञानिक भी इनके खेतों का अवलोकन कर चुके हैं। यह गन्ना किसान अपने हुनर से खेती के जरिए तरक्की की इबारत लिख रहे हैं।
रोजगार की तलाश में गांवों से शहरों की ओर पलायन करने वाले युवाओं में किसान खेती में नई उम्मीद जगा रहे हैं। बिसवां चीनी मिल क्षेत्र के बखरिया गांव के आरिफ खान और अब्दुल हादी, टिकरा गांव के शैलेंद्र वर्मा, बाढ़रमऊ के ओमकार नाथ वर्मा, रामगढ़ चीनी मिल क्षेत्र के भानु प्रताप के खेतोें में मौजूदा समय में लगे गन्ने की ऊचाईं 10 से 11 फीट है। प्रत्येक पौधे से 12 से 18 तक कल्ले निकल चुके हैं। खेतों का निरीक्षण कर चुके फसल एवं पौध सुरक्षा वैज्ञानिक डॉ. दया शंकर श्रीवास्तव का मानना है कि फसल की प्रारंभिक अवस्था को देखते हुए अनुमान है कि इन खेतों में औसत उपज से पांच से छह गुना अधिक उत्पादन होगा। इन गन्ना किसानों ने खेतों में गन्ने के साथ सह फसली की भी बोआई की है। जिसकी वे कटाई कर चुके हैं। शैलेंद्र वर्मा ने पत्ता गोभी, ओमकार नाथ वर्मा ने सरसों, अब्दुल हादी ने लाही और आलू को सह फसल के रूप में बोया था। इससे इन किसानों को अतिरिक्त लाभ हुआ है। जिला गन्नाधिकारी ओम प्रकाश सिंह ने बताया कि जिले में गन्ने की औसत उपज 565 कुंतल प्रति हेक्टेयर है। जबकि इन खेतों में 2500-3000 कुंतल प्रति हेक्टेयर की पैदावार होगी।
इन गन्ना किसानों ने बताया कि खेती में यह ‘कारनामा’ यूं ही नहीं हो गया है। इसके लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी है। किसानों की माने तो गन्ना बोआई का जो आदर्श समय (25 अगस्त से 20 सितंबर) में ट्रेंच विधि से बोआई कर खाद और पानी की संतुलित मात्रा का समय पर उपयोग किया गया। जिला गन्नाधिकारी ओम प्रकाश सिंह ने बताया कि सभी चीनी मिलों को इस बाबत एक पत्र जारी कर निर्देश दिए गए हैं कि भविष्य में ऐसे ही गन्ना किसानों का चयन कर उन्हें खेती की आधुनिक और वैज्ञानिक विधियों की जानकारी दी जाए। इन किसानाें की मेहनत दूसरों के लिए प्रेरणा स्रोत बन गई है।

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